नमस्ते भगवान रुद्र भास्करामित तेजसे।
नमो भवाय देवाय रसायाम्बुमयात्मने॥
पंचकेदारों में से एक मध्यमहेश्वर मंदिर के कपाट आज संपूर्ण विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए हैं।
यह प्राचीन मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आध्यात्मिक चेतना, भक्ति और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है। यहाँ की हर शिला, वादी और वायु के सरगम में स्वयं महादेव की उपस्थिति का आभास होता है। शिव के नाभि स्वरूप को समर्पित यह तीर्थस्थल आत्मा को एक विशिष्ट शांति और शिवत्व से जोड़ने का माध्यम है।
आप भी इस पुण्यधरा के दर्शन कर देवाधिदेव महादेव का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त करें।