जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल की अध्यक्षता में मेला नियंत्रण भवन(सीसीआर) में हरकीपैड़ी एवं आस-पास के क्षेत्रों के सौन्दर्यीकरण के सम्बन्ध में बैठक आयोजित हुई

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हरिद्वार: जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल की अध्यक्षता में मेला नियंत्रण भवन(सीसीआर) में हरकीपैड़ी एवं उसके आस-पास के क्षेत्रों के सौन्दर्यीकरण के सम्बन्ध में एक बैठक आयोजित हुई ।  जिलाधिकारी श्री धीराज सिंह गर्ब्याल ने हरकीपैड़ी एवं उसके आस-पास के क्षेत्रों के सौन्दर्यीकरण के सन्दर्भ में ली(एलईए) एसोशियेट्स साउथ एशिया प्रा0लि0 के पदाधिकारियों के साथ सौन्दर्यीकरण की डीपीआर तैयार करने में किन-किन बातों का ध्यान रखना है, के सम्बन्ध में विस्तार से विचार-विमर्श किया। श्री धीराज सिंह गर्ब्याल ने बैठक में हरिद्वार की जनसंख्या का उल्लेख करते हुये यहां की स्थाई जनसंख्या तथा फ्लोटिंग जनसंख्या, देश के किस राज्य से सबसे अधिक श्रद्धालुओं का आगमन होता है, यहां अखाड़ों की कितनी संख्या है तथा उनसे कितने लोग जुड़े हैं, अखाड़ों की पेशवाई का क्या-क्या रूट है, महाकुम्भ, अर्द्धकुम्भ,कांवड़ मेले तथा वर्षभर के लगभग 15 स्नान पर्वों में कितने श्रद्धालुओं का आगमन होता है, किन-किन स्थानों में हमें पार्किंग की व्यवस्था करनी है, आस्था पथ के रखरखाव की व्यवस्था आदि पहलुओं पर बारीकी से ध्यान देने के सम्बन्ध में चर्चा की।  बैठक में जिलाधिकारी ने सतीकुण्ड का उल्लेख करते हुये कहा कि यह एक पौराणिक महत्व का स्थल हैl  उन्होंने कहा कि शिव पुराण के अनुसार प्रजापति दक्ष की पुत्री भगवान शंकर की धर्मपत्नी थी एक बार दक्ष ने महा यज्ञ कराया, जिसमें भगवान शंकर को आमंत्रित नहीं किया, पिता के इस व्यवहार से पतिव्रता सती की आत्मा को ठेस पहुँची और उसी यज्ञ भूमि में स्वयं अग्नि देव को समर्पित हो गई l इससे भगवान शंकर  क्रोधित हो गए और इसी स्थान से भगवान शंकर सती को गोद में लेते हुए तांडव करते हुए पूरे ब्रमांड में घूमे तथा सती के अंश जिन  52 स्थानों में गिरे उन स्थानों  में 52 शक्ति पीठ बने l  इसी पौराणिक महत्व  को देखते हुए सतीकुण्ड को हमें विश्व स्तरीय स्थल के रूप में  विकसित करना हैl   इसके अतिरिक्त सतीकुण्ड के बाहरी हिस्से में जो मन्दिर है, उसको भी साथ में विकसित करना है। उन्होंने कहा कि  मुख्य मंत्री ने सती कुंड को विकसित करने की घोषणा की है, जिसके क्रम में सर्वोच्च प्राथमिकता से सबसे पहले सती कुंड को विकसित किया जायेगा, जिसके लिए उन्होंने फर्म को निर्देशित किया l                                                 जिलाधिकारी ने दक्ष मन्दिर  का जिक्र करते हुए  कहा कि इसके साथ ही दक्ष मन्दिर में श्रद्धालु आसानी से पहुंच सके, इसके लिये श्रद्धालुओं का यहां पहुंचना सुगम बनाना होगा तथा इसके आसपास पार्किंग की सुविधा भी विकसित करनी होगी। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में अस्थि विसर्जन के लिये श्रद्धालु कनखल पहुंचते हैं, इसे भी हमें ध्यान में रखना होगा। इसके अतिरिक्त मायापुर स्थित नारायणी शिला में भी बड़ी तादात में श्रद्धालु आते हैं, यहां भी विभिन्न प्रकार की सुविधाओं का विकास करना होगा। हरकीपैड़ी क्षेत्र का जिक्र करते हुये जिलाधिकारी ने कहा कि इसका किस तरह से विस्तार किया जा सकता है, घाटों को कैसे विकसित करना है, सुभाष घाट के फसाड को किस तरह से एकरूपता देनी है, अपर बाजार को कैसे विकसित करना है, अपर बाजार में कई धर्मशालायें ऐतिहासिक हैं, उनके स्वरूप को कैसे बरकरार रखना है आदि तथ्यों पर विचार करना है।बैठक में ली(एलईए) एसोशियेट्स साउथ एशिया प्रा0लि0 के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी से विभिन्न विभागों- लोक निर्माण, सिंचाई, नगर निगम हरिद्वार, एचआरडीए, सिडकुल, परिवहन, पुलिस आदि से डॉटा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। इस पर जिलाधिकारी ने सभी विभागों को जिस तरह का डॉटा फर्म को चाहिये, उसे उपलब्ध कराने के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये।   इस अवसर पर उपाध्यक्ष एचआरडीए श्री अंशुल सिंह, संयुक्त मजिस्ट्रेट रूड़की श्री दिवेश शाशनी, एसपी सिटी श्री स्वतंत्र कुमार सिंह, जीएमडीआईसी श्रीमती पल्लवी गुप्ता, अधिशासी अभियन्ता लोक निर्माण श्री सुरेश तोमर, अधिशासी अभियन्ता सिंचाई श्रीमती मंजू,अधिशासी अभियन्ता पेयजल श्री राजेश गुप्ता, जिला पर्यटन अधिकारी श्री सुरेश सिंह यादव, एसएनए नगर हरिद्वार श्री श्याम सुन्दर, टीम लीडर ली एसोशियेट्स प्रा0लि0 श्री वाई रमेश, प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर श्री सुनील गुप्ता सहित सम्बन्धित पदाधिकारी तथा अधिकारीगण उपस्थित थे।

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